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यूक्रेन में हो रहे विस्फोटों की विश्व में गूंज , क्या भारत देगा रूस का साथ ?

रूस के साथ यूक्रेन की युद्ध आशंका के मध्य आज पूर्वी यूक्रेन में कई धमाके हुए हैं। ये धमाके यूक्रेन के शहर दोनेस्क के रूस समर्थित अलगाववादियों ​​​​​​के नियंत्रण वाले क्षेत्र में हुए हैं। वहीं अलगाववादियों के इस हमले में यूक्रेन के दो सैनिकों की मारे जाने की खबर है। इसी बीच रूस ने क्रूज और बैलेस्टिक मिलाइलों के परीक्षण के साथ अपना परमाणु युद्धाभ्यास भी शुरू कर दिया है।वही अमेरिका ने रूस के इस युद्धाभ्यास को यूक्रेन पर हमले का काउंटडाउन बताया है। अमेरिका ने आशंका जताई है कि अगर ये युद्ध हुआ तो पूरी दुनिया को इसके गंभीर परिणाम उठाने पड़ सकते है ।आइए आपको बताते हैं कि युद्ध के सिरहाने पर क्यों आ खड़े हुए हैं यूक्रेन – रुस ? इस युद्ध का दुनिया पर क्या असर पड़ने वाला है और इस विवाद में भारत का पक्ष क्या है?

20वीं सदी की शुरुआत में यूक्रेन रूस साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। 1917 में ब्लादिमीर लेनिन के शीर्ष नेतृत्व में हुई रूसी क्रांति के बाद 1918 में यूक्रेन ने अपनी आजादी की घोषणा कर इफ़ थी , मगर 1921 में ब्लादिमीर लेनिन की सेना से हार के बाद 1922 में यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा बन गया था ।यूक्रेन में रूस से आजादी के लिए संघर्ष चलता रहा है । रूस के खिलाफ कई बार हथियारबंद समूहों ने विद्रोह की कोशिश की है जो आज तक सफल नहीं हुई।
1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद यूक्रेन ने अपनी आजादी का ऐलान किया।आजाद प्राप्त होते ही यूक्रेन रूसी प्रभाव से मुक्ति की पाने के प्रयासों में जुट गया और इसके लिए उसने पश्चिमी देशों से नजदीकियां बढ़ाईं।वर्ष 2010 में विक्टर यानुकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति बने। जिसके बाद यानुकोविच ने रूस के साथ करीबी संबंध बनाए और यूक्रेन के यूरोपियन यूनियन से जुड़ने के फैसले को निरशत कर दिया, जिसका यूक्रेन में कड़ा विरोध भी हुआ।

विक्टर यानुकोविच के पद छोड़ने के तुरंत बाद रूस ने वर्ष 2014 में यूक्रेन पर हमला कर दिया था और 1950 से ही यूक्रेन का हिस्सा रहे क्रीमिया पर कब्जा जमा लिया।रूस पर यूक्रेन के अलगाववादियों को पैसे और हथियारों से मदद करने का आरोप लगता रहा है, जिसे रूस खारिज करता रहा है।यूक्रेन में बीते 8 वर्षों से सरकार और रूसी समर्थक अलगाववादियों के बीच संघर्ष चालू है, जिसमें 14 हजार से अधिक लोग अपनी जान गवा चुके है।

अपने सिद्धांतों को मानने वाला हमारा भारत देश वैसे तो आपसी विवाद में अमूमन दखल नहीं ही देता है। ऐसे में दिक्कत ये है कि भारत अगर रूस का साथ देता है तो अमेरिका नाराज हो सकता है और यूक्रेन के पक्ष में खड़े अमेरिका का साथ देता है तो भारत का सबसे अच्च मित्र रूस उससे नाराज हो जाएगा। भारत न तो अमेरिका को नाराज करना चाहता है और न ही रूस को। आपको बता दे की आज भी भारत का सबसे बड़ा डिफेंस पार्टनर रूस ही है।

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